तितली
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रंग-रंग की प्यारी तितली,
बच्चों के मन को भाती हो।
जब-जब पास बुलाते तुमको,
तुम दूर-दूर क्यों जाती हो।।
क्यों रोज सबेरे उठ जाती हो,
बगिया की सैर लगाती हो।
कभी बैठती डाल पात पर,
क्यों फूलों पर मंडराती हो।।
हम बच्चों की प्यारी तितली,
इतने रंग कहाँ से लाई हो।
कितने सुंदर पंख तुम्हारे,
कौन देश से आई हो।।
कैलाश मण्डलोई "कदंब"